श्याम बाबा का निशान और निशान यात्रा - Khatu Shyam Nishan Yatra

श्याम बाबा का निशान और निशान यात्रा - Khatu Shyam Nishan Yatra, इसमें बाबा श्याम की निशान यात्रा के महत्व और निशान पूजन के बारे में जानकारी दी गई है।

Khatu Shyam Nishan Yatra

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खाटू श्याम जी की निशान यात्रा का आनंद और महत्व, दोनों अपने आप में अनूठे हैं। अपनी भक्ति से अपने इष्टदेव की प्रसन्न करना सभी भक्तों का परम उद्देश्य होता है।

जिस प्रकार भक्तजन अपने आराध्य को प्रसाद, वस्तु या कोई अन्य भेँट देकर प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं, ठीक उसी प्रकार निशान यात्रा भी अपने आराध्य को प्रसन्न करने का एक तरीका है।

निशान यात्रा अपने आराध्य की भक्ति करने का एक तरीका है जिसमें भक्त और भगवान के बीच आस्था की डोर काफी मजबूत हो जाती है।

खाटू श्यामजी की निशान यात्रा देश भर में आयोजित होने वाली धार्मिक यात्राओं में एक प्रमुख यात्रा है। बाबा श्याम को प्रसन्न करने का सबसे प्राचीन तरीका है। यह यात्रा बड़ी फलदाई है।

क्या होती है खाटू निशान यात्रा? - What is Khatu Nishan Yatra?


निशान यात्रा मुख्यतया रींगस से खाटू श्याम जी मंदिर तक की जाने वाली पैदल यात्रा है। इस यात्रा की दूरी 18 किलोमीटर है।

बाबा श्याम के अधिकांश भक्त रींगस से खाटू की निशान यात्रा ही करते हैं लेकिन भक्तजन अपनी श्रद्धानुसार अपने घर या किसी दूसरे स्थान से भी निशान यात्रा कर सकते हैं।

खाटू श्याम का निशान क्या होता है? - What is the symbol of Khatu Shyam?


निशान बाबा श्याम को अर्पित किया जाने वाला ध्वज है जिसका रंग केसरिया, नारंगी, नीला, सफेद या लाल होता है।

इस झंडे पर श्याम बाबा और भगवान कृष्ण के जयकारे, मंत्र और फोटो लगे होते हैं। हवा में लहराता हुआ यह निशान एक रस्सी से बँधा होता है।

बहुत से निशान मोरपंख और नारियल के साथ भी मिलते हैं। वर्तमान समय में भक्तजन अपनी श्रद्धानुसार सोने चाँदी तक के निशान बाबा को भेंट करने लगे हैं।

श्याम बाबा को निशान क्यों चढ़ाया जाता है? - Why is Nishan offered to Shyam Baba?

हिन्दू धर्म में निशान या ध्वज विजय और आस्था का प्रतीक मानी जाती है। सभी हिन्दू मंदिरों के शिखर पर कलश और निशान जरूर रहता है।

बाबा श्याम ने अधर्म पर धर्म के लिए लड़े जा रहे युद्ध में धर्म की विजय के लिए भगवान श्री कृष्ण को अपने शीश का दान दे दिया था।

बाबा श्याम की जीत और इस महा बलिदान के प्रतीक के लिए उन्हें निशान चढ़ाया जाता है। बाबा श्याम के मंदिर में लाखों भक्त आते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।


जब इन भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी हो जाती है तब ये बाबा के दरबार में अगली बार पैदल निशान यात्रा करते हुए आकर बाबा को निशान अर्पित करते हैं।

खाटू श्याम निशान यात्रा कैसे करें? - How to do Khatu Shyam Nishaan Yatra?


खाटू श्याम निशान यात्रा करने के लिए भक्तों को अपने हाथों में बाबा श्याम का निशान यानी झंडा उठाकर मंदिर तक पैदल जाना होता है।

नंगे पाँव चलकर की जाने वाली निशान यात्रा को सबसे उत्तम निशान यात्रा माना जाता है।

सामान्यतः भक्तजन रींगस से खाटू श्याम मंदिर तक की निशान यात्रा करते हैं। की भक्त इससे भी अधिक लम्बी निशान यात्रा करते हैं।

खाटू श्याम बाबा के निशान का महत्व - Importance of Khatu Shyam Baba's mark


बाबा श्याम के निशान को बड़ा पवित्र माना जाता है और निशान यात्रा बड़ी फलदाई मानी जाती है। श्याम जी के प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा प्रकट करने का यह सबसे पुराना तरीका है।

ऐसा माना जाता है कि सच्चे मन से बाबा का स्मरण करते हुए निशान हाथ में लेकर पैदल यात्रा करने वाले श्याम भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूरी हो जाती है।

निशान यात्रा करने वाले भक्तों पर बाबा श्याम की विशेष कृपा होती है। इनके बिगड़े काम बनने लग जाते हैं, दुःख दर्द दूर हो जाते हैं और जहाँ हाथ डालते हैं वहाँ सफलता कदम चूमने लग जाती है।

बाबा श्याम को निशान किस दिन अर्पित करें? - On which day should the Nishaan be offered to Baba Shyam?


वैसे तो बाबा के दरबार में किसी भी दिन निशान चढ़ाया जा सकता है लेकिन मेले का समय सबसे अधिक फलदाई माना जाता है।

वर्तमान समय में हर महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी और द्वादशी को मंदिर में मेला भरता है इसलिए इन दो दिनों में बाबा को निशान चढ़ाये जा सकते हैं।

अगर फाल्गुन लक्खी मेले के समय निशान चढ़ाये जाएँ तो उसका महत्व सबसे ज्यादा है। इस लक्खी मेले में भी अगर ग्यारस के दिन निशान चढ़ाएँ तो अति उत्तम है।

खाटू श्याम निशान पूजन विधि और नियम - Khatu Shyam Nishan worship method and rules


निशान काफी पवित्र होता है इसके अपने कुछ नियम होते हैं जिनका पालन करना आवश्यक है। निशान को धारण करने वाले व्यक्ति को निशान के साथ स्वयं की शुद्धता का पूरा ध्यान रखना चाहिए।

सबसे पहले स्नान करके निशान को पूजने वाली जगह को जल से साफ करें। अब ध्वज को डंडे में डालकर डोरी से बाँधकर निशान तैयार करें।

इसके बाद बाबा की तस्वीर के साथ निशान की पूजा अर्चना करें और श्याम प्रभु का जयकारा लगाकर निशान को हाथों में धारण करें।

अब बाबा श्याम का स्मरण करते हुए ॐ जय श्री श्याम देवाय नमः का जाप करते हुए यात्रा प्रारम्भ करें।

वैसे तो निशान पदयात्रा बिना कहीं रुके और खाये-पिए होनी चाहिए लेकिन इस प्रकार की यात्रा काफी कठिन हो जाती है।

बहुत से भक्तजन ऐसी कठिन यात्रा नहीं कर पाते इसलिए वे यात्रा के बीच में विश्राम और जलपान कर लेते हैं।

सबसे खास बात यह है कि निशान धारण करके किसी भी तरह का अशुद्ध कार्य नहीं करना चाहिए।

अगर वाशरूम जाना है तो निशान को किसी पवित्र स्थान पर रखकर जाएँ। वाशरूम से आने के बाद वापस शुद्ध होकर निशान धारण करें।

श्याम मंदिर में जाकर नियत स्थान पर बाबा को निशान अर्पित करें।

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रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ। मेरी क्वालिफिकेशन M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें। जैसा कि मैंने आपको बताया कि मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट भी हूँ इसलिए मैं लोगों को वीडियो और ब्लॉग के माध्यम से स्वास्थ्य संबंधी उपयोगी जानकारियाँ भी देता रहता हूँ। आप ShriMadhopur.com ब्लॉग से जुड़कर ट्रैवल और हेल्थ से संबंधित मेरे लेख पढ़ सकते हैं।

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