श्याम मंदिर पर क्यों लहराता है सूरजगढ़ निशान? - Surajgarh Nishan

श्याम मंदिर पर क्यों लहराता है सूरजगढ़ निशान? - Surajgarh Nishan, इसमें सूरजगढ़ निशान और इसकी यात्रा के साथ खाटू श्याम से इसके संबंध की जानकारी दी गई है।

Surajgarh Nishan

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खाटू श्याम बाबा के मंदिर के शिखर पर निशान के रूप में एक ध्वज पूरे साल लहराता रहता है। क्या आपको पता है कि ये ध्वज कहाँ से आता है और इसे कब बदला जाता है?

खाटू में श्याम मंदिर के शिखर पर चढ़ने वाला यह निशान झुंझुनूं जिले के सूरजगढ़ से आता है। यह निशान वर्ष में एक बार फाल्गुन के महीने में खाटू लक्खी मेले के समय चढ़ाया जाता है।

आज हम यह समझते हैं कि सूरजगढ़ का यह निशान खाटू कस्बे में कौन लेकर आता है और इस निशान के पीछे क्या कहानी है।

क्या है सूरजगढ़ निशान यात्रा? What is Surajgarh Nishan Yatra?


खाटू श्याम जी के मंदिर में चढ़ने वाला यह निशान सूरजगढ़ के श्याम मंदिर से खाटू के श्याम मंदिर तक पदयात्रा करके लाया जाता है। इसे सूरजगढ़ निशान यात्रा कहा जाता है।

सूरजगढ़ निशान यात्रा की विशेषता - Features of Surajgarh Nishan Yatra


सूरजगढ़ निशान यात्रा अपने अनोखेपन की वजह से  काफी प्रसिद्ध है। इस निशान पदयात्रा की सबसे खास बात यह है कि यात्रा में महिलाएँ अपने हाथों में निशान के साथ-साथ सिर पर जलती हुई सिगड़ी लेकर चलती हैं।

खाटू श्याम मंदिर के शिखर पर निशान चढ़ाने के बाद सभी श्याम भक्त वापस पैदल ही सूरजगढ़ लौटते हैं। इस प्रकार ये लोग, जहाँ से पदयात्रा शुरू करते हैं वहीं संपन्न करने की परंपरा को निभाते हैं।

सूरजगढ़ निशान यात्रा में महिलाएँ जलती हुई सिगड़ी लेकर क्यों चलती हैं? - Why do women carry a burning lamp during the Surajgarh Nishan Yatra?


जिस महिला की बाबा श्याम से मांगी हुई मनोकामना पूरी हो जाती है वह महिला सिर पर जलती हुई सिगड़ी (श्याम बाबा की अखंड ज्योत) लेकर खाटू श्याम मंदिर में आती है और बाबा को अर्पित करती है।


इस तरह से हम कह सकते हैं कि ये महिलाएँ अपनी मनोकामनाएँ पूरी होने पर बाबा के प्रति अपनी आस्था प्रकट करने के लिए, हाथों में निशान और सिर पर जलती हुई सिगड़ी लेकर सूरजगढ़ से खाटू पैदल आती हैं।

सूरजगढ़ के निशान की विशेषता - Features of the Surajgarh mark


जिस प्रकार आकाश में सूरज अलग ही नजर आता है ठीक उसी प्रकार सूरजगढ़ का निशान भी अपनी एक अलग पहचान रखता है।

इस निशान की ऊँचाई 11 फीट होती है। सफ़ेद रंग के ध्वज के बीच में नीले घोड़े पर तीन बाण धारण करके बाबा श्याम बैठे हुए हैं।

सूरजगढ़ के निशान की महिमा - The glory of the mark of Surajgarh


कहतें हैं कि सूरजगढ़ के निशान की महिमा अपरम्पार है। ऐसा माना जाता है कि इस निशान में खुद बाबा श्याम का वास है।

चूँकि ये निशान बारह दिनों के लिए ही आम दर्शनार्थ उपलब्ध रहता है इसलिए इसके दर्शन सिर्फ लक्खी मेले के समय ही किये जा सकते हैं।

लोगों का ऐसा विश्वास है कि जो भी कोई सूरजगढ़ के निशान के दर्शन कर लेता है उस पर श्याम बाबा की कृपा होने लग जाती है

सूरजगढ़ के किस मंदिर से आता है निशान? - From which temple of Surajgarh does the mark come?


सूरजगढ़ में पहले श्याम बाबा का एक ही मंदिर था, इसलिए पहले इसी मंदिर का निशान खाटू आता था। बाद में इस मंदिर के पास श्याम बाबा का एक और मंदिर बन जाने की वजह से वर्ष 2004 से दोनों मंदिरों से अलग-अलग निशान खाटू आने लगे हैं।

सूरजगढ़ से किस दिन शुरू होती है निशान यात्रा? - On which day does Nishan Yatra start from Surajgarh?


सूरजगढ़ धाम के बाबा श्याम मंदिर में सूरजगढ़ निशान की स्थापना फागुन सुदी एकम को ठीक 11:15 बजे होती है।

एकम से षष्ठी तक निशान की 11 बार महाआरती होती है। इसके बाद फागुन सुदी षष्ठी को ठीक 11:15 बजे निशान यात्रा शुरू होती है और नवमी के दिन खाटू श्याम जी पहुँच जाती है।

कितने समय में पूरी होती है सूरजगढ़ निशान पदयात्रा? - How much time does it take to complete the Surajgarh Nishan Yatra?


सूरजगढ़ से शुरू होने वाली 152 किलोमीटर दूरी की यह निशान पदयात्रा कुल 90 घंटे तक चलती है। यात्रा सूरजगढ़ से शुरू होकर सुलताना, भाटीवाड़, गुढ़ागौड़जी, उदयपुरवाटी, गुरारा, बामनवास, मंढा होते हुए खाटू श्याम जी पहुँचती है।

यात्रा में बाबा के भक्त भजनों पर नाचते गाते चलते हैं। शुरू में पदयात्रियों की संख्या कम होती है लेकिन जैसे जैसे यात्रा आगे बढ़ती है पदयात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी होती जाती है।

खाटू श्याम मंदिर पर किस दिन चढ़ाया जाता है सूरजगढ़ का निशान - On which day is the Surajgarh symbol offered at Khatu Shyam Temple


श्याम बाबा के मंदिर में अब तक कुल 374 निशान चढ़ाये जा चुके हैं। सूरजगढ़ का निशान लक्खी मेले के समय फागुन शुक्ल द्वादशी को खाटू मंदिर पर विधिवत पूजा-अर्चना के बाद चढ़ाया जाता है।

सूरजगढ़ निशान पदयात्रा की शुरुआत किसने की? - Who started the Surajgarh Nishan Yatra?


ऐसा बताया जाता है कि सूरजगढ़ से निकलने वाली इस निशान पदयात्रा की शुरुआत विक्रम संवत 1706 यानि 1649 ईस्वी में खंडेला के सांठावास ग्राम के निवासी तुलसाराम जी इंदौरिया ने प्रारंभ की थी।

बाद में इनके वंशज सेवाराम जी इंदौरिया 200 साल पहले सूरजगढ़ में जाकर रहने लग गए और यहाँ से निशान चढ़ाने लगे। तुलसाराम जी द्वारा शुरू की गई निशान चढ़ाने की परंपरा इनके वंशजों द्वारा आज भी जारी है।

खाटू श्याम मंदिर पर सूरजगढ़ का निशान ही क्यों चढ़ता है? - Why is only the Surajgarh symbol placed on the Khatu Shyam Temple?


खाटू श्याम मंदिर पर सूरजगढ़ का निशान चढ़ने के पीछे एक ऐतिहासिक कहानी है। बताया जाता है कि अंग्रेजों ने बाबा श्याम के मंदिर में दर्शन बंद करवा कर ताला लगवा दिया था।
 
मंदिर बंद होने से भक्तजन, श्याम बाबा के दर्शन नहीं कर पा रहे थे। अब उन्हें किसी चमत्कार से ही मंदिर का ताला खुलने की उम्मीद थी।

उन्हीं दिनों एक चमत्कार हुआ। सूरजगढ़ से निशान लेकर आए श्याम भक्त मंगलाराम ने मंदिर के ताले पर श्याम बाबा का नाम लेकर मोर पंख मारा तो ताला टूटकर खुल गया।

इस चमत्कार के बाद श्याम भक्तों में सूरजगढ के निशान के प्रति आस्था बढ़ गई और ऐसा माना जाने लगा कि सूरजगढ़ के निशान में साक्षात बाबा श्याम चलते हैं।

मोरछड़ी से ताला खुलने की उस चमत्कारिक घटना के बाद उसी समय से हर वर्ष मंदिर के शिखर पर सूरजगढ़ का निशान चढ़ता आ रहा है।

आज भी मंगलाराम के परिवार व सूरजगढ़ के लोग इस अनोखी निशान पदयात्रा की परंपरा को हर साल निभा रहे हैं।

सूरजगढ़ निशान पदयात्रा कब निकलेगी? - When will the Surajgarh Nishan Yatra start?


सूरजगढ़ निशान यात्रा खाटू श्याम जी के लक्खी मेले के समय निकाली जाती है और फागुन शुक्ल द्वादशी को खाटू मंदिर पर विधिवत पूजा-अर्चना के बाद निशान चढ़ाया जाता है।

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डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्य के लिए है। इस जानकारी को विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से लिया गया है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ। मेरी क्वालिफिकेशन M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें। जैसा कि मैंने आपको बताया कि मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट भी हूँ इसलिए मैं लोगों को वीडियो और ब्लॉग के माध्यम से स्वास्थ्य संबंधी उपयोगी जानकारियाँ भी देता रहता हूँ। आप ShriMadhopur.com ब्लॉग से जुड़कर ट्रैवल और हेल्थ से संबंधित मेरे लेख पढ़ सकते हैं।

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श्याम बाबा की कृपा पाने के लिए कमेन्ट बॉक्स में - जय श्री श्याम - लिखकर जयकारा जरूर लगाएँ और साथ में बाबा श्याम का चमत्कारी मंत्र - ॐ श्री श्याम देवाय नमः - जरूर बोले।

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